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काउंसलिंग

काउंसलिंग
काउंसलिंग के माध्यम से किसी भी छात्र के उसके डोमेन में उसके अनुरूप बेहतर विकल्पों को तलाशा जाता है। काउंसलिंग द्वारा छात्रों की क्षमताओं का आकलन, संबंधित क्षेत्र में करियर के विकल्प तलाशना, लॉन्ग टर्म लक्ष्यों और भविष्य का रोडमैप तैयार किया जाता है। करियर काउंसलर परवीन मल्होत्रा कहती हैं कि अगर गलती से भी आपने गलत करियर या विषय चुन लिया तो आपकी जिंदगी की गाड़ी पटरी पर न तो सरपट दौड़ पाएगी और न ही सफलता आपके हिस्से में आएगी। अगर आपने ऐसा करियर या विषय चुना, जो आपकी पर्सनेलिटी, आपकी रुचि पर फिट बैठता है तो आप उसमें बेहतर करने का हरसंभव प्रयास करेंगे और अगर आपने ऐसा करियर चुन लिया, जो आपने सिर्फ दोस्तों के कहने पर चुना है तो आपकी आधी कामयाबी वहीं से कम हो जाएगी। करियर काउंसलिंग आवश्यक है। यह आपके दिमाग को फिल्टर करने का काम करती है। प्रमुख बात यह है कि एक बार आप करियर चुनने में भटक गए तो ताउम्र तनाव आप पर हावी रहेगा। करियर में भटकने पर किसी भी छात्र की स्थिति रेगिस्तान में रास्ता भूले मुसाफिर की तरह होती है, जहां उसके सामने दो चुनौतियां होती है-पहली यह कि वह अपना रास्ता तलाशे और दूसरी, तपती धूप में खुद को शिद्दत से जमाए रखे।

कैसे करते हैं काउंसलिंग
काउंसलिंग के लिए छात्र का एप्टीटय़ूड टेस्ट लिया जाता है। इसके द्वारा छात्र की विश्लेषणात्मक क्षमता, उसकी सोच, विषय पर पकड़ आदि का पता लगाया जाता है। इसके अलावा उसका मनोवैज्ञानिक टेस्ट भी किया जाता है। करियर काउंसलर रहमान बताते हैं कि एप्टीटय़ूड टेस्ट में यह जांचा जाता है कि  छात्र ने किस विषय के कितने प्रश्नों का उत्तर दिया, उन्हें कैसे हल किया। साथ ही उसनेप्रश्नों को किस आधार पर हल किया है। करियर काउंसलर हनुमंत सब्बरवाल कहते हैं कि काउंसलिंग के दौरान छात्र-छात्र के रुझान और रुचि को देखा जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई छात्र कहता है कि उसकी एयरोनॉटिकल में रुचि है, लेकिन वह मैथ्स की पढ़ाई नहीं करना चाहता तो ऐसे में सबसे पहले उस क्षेत्र के रुझान के मुताबिक करियर के विकल्प तलाशे जाते हैं। विकल्प देते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि लॉन्ग टर्म में वह छात्र के लिए कैसा है। करियर काउंसलिंग के माध्यम से मुख्यत: किसी अभ्यर्थी की रियल लाइफ में काम करने की क्षमता को जांचा जाता है।

ऐसा क्षेत्र जो शोहरत और पैसा दिलाए
करियर या पढ़ाई के लिए विषय चुनना सिर्फ जीविकोपाजर्न का मसला नहीं है, क्योंकि रोजी-रोटी तो इंसान किसी तरह कमा ही लेगा। पर अगर आप ऐसे काम को अपनाएं, जो आपकी जीविका का स्त्रोत तो बनें ही, साथ ही आपको तरक्की और संतुष्टि भी दे तो ज्यादा बेहतर होगा। हो सकता है कि आप किन्हीं तीन-चार के अनुरूप फिट बैठते हों, पर यह आपकी काबिलियत है कि आप उनमें से अपने लायक सबसे बेहतर करियर का चुनाव कर सकें और इसमें अगर आप सफल हो गए तो सफलता आपकी रहगुजर होगी। काउंसलिंग के लिए आने वाले छात्र का कॉमन सवाल यही होता है कि कौन-सा करियर या विषय लेने पर उन्हें तरक्की और शोहरत जल्दी मिलेगी।

सिर्फ एक ही करियर है, जो कि मेरे लिए पूरे तौर पर सही है
प्रत्येक व्यक्ति की रुचियां अलग-अलग होती हैं। सभी के काम करने का तरीका अलग होता है। ऐसे में हरेक व्यक्ति अपनी रुचि, स्किल के मुताबिक करियर का चयन करने की कोशिश करता है, जो उसे संतुष्टि प्रदान करता हो। जैसे-जैसे आप बड़े होंगे, आप महसूस करेंगे कि एक से ज्यादा करियर हैं, जो आपके लिए जिंदगी की किसी स्टेज और स्थिति के अनुरूप आपके लिए सही होते हैं।

उस क्षेत्र में सफलता तय है, जिसका क्रेज ज्यादा है या ज्यादातर लोग उसे ही अपना रहे हैं

अक्‍सर आपके बड़े या परिचित आपको प्रचलित करियर के बारे में सलाह देते रहते हैं, चूंकि उनका उस क्षेत्र से ज्यादा वास्ता नहीं होता, ऐसे में वह आपको ऐसे करियर के बारे में ही बताते हैं, जिसके बारे में उन्होंने काफी सुन रखा है या सुन रहे होते हैं। वहीं अकसर यह भी देखने में आता है कि मेरा दोस्त उस क्षेत्र में जा रहा है तो मैं भी उस क्षेत्र में जाऊं। यह सही नहीं है।

अगर मैंने अपना करियर या विषय बदला तो मैं असफल हो जाऊंगा
बदलाव जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसा सोचना कि किसी कंपनी में बस मुझे एक नौकरी मिल जाए और उसमें मैं अपनी पूरी उम्र काट दूंगा या फिर मैं साइंस क्षेत्र का हूं, मेरी लॉ में रुचि है, पर लोग  कहते हैं कि साइंस छोड़ी तो फेल हो जाओगे, सही नहीं है।  कई बार देखने में आता है कि बारहवीं के बाद एक विषय से दूसरे विषय में जाने पर सफलता बेहतर मिलती है, पर छात्रों के मन में इसे लेकर संशय होता है। वह कहते हैं कि तकनीकी परिदृश्य में आए बदलाव की वजह से पूरे जीवन में प्रत्येक के लिए परिस्थितियों के मुताबिक अलग-अलग करियर होते हैं और इनकी संख्या तीन से चार तक हो सकती है।

मैं मेहनती हूं तो मैं कुछ भी कर सकता हूं
आप वास्तविकता में जिएं। अपनी सीमाओं को समझों। करियर या विषय का फैसला लेते समय इस बात को जेहन में रखें। उदाहरण के तौर पर आपकी नजर कमजोर है, पर आप पायलट या पुलिस ऑफिसर बनना चाहते हैं। ऐसे में आपकी कड़ी मेहनत का गुण ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं होता। और हां, जिंदगी में कुछ सीमाएं होने में बुराई भी नहीं है।  मेहनत हर समस्या का हल होती है, पर करियर या विषय के चुनाव में इस बात को आधार बनाना आपकी तरक्की के प्रतिशत को कम कर देता है।

मैं किसी क्षेत्र या विषय के लिए उपयुक्त हूं, इसका मतलब यह है कि मैं इस क्षेत्र के लिए सबसे बेहतर हूं।
कुछ लोग यह सोचते हैं कि कुछ क्षेत्र उनकी पर्सनेलिटी और स्किल के अनुरूप होते हैं और उसमें वह पूरी तरह से फिट बैठते हैं। सफलता को स्वयं के अनुरूप मापदंड बना कर मापना चाहिए, न कि किसी की सलाह या फिर देखा-देखी। आपके मुताबिक यह करियर फिट है, इसका पता आप खुद की स्किल और क्षमताओं के आधार पर लगा सकते हैं।

प्राइवेट या सरकारी नौकरी
छात्रों का सबसे बड़ा मिथक होता है सरकारी और प्राइवेट जॉब को लेकर। करियर को लेकर कई छात्र पूरी तरह इस बात के प्रति पक्के होते हैं कि उन्हें सरकारी जॉब नहीं करनी, जबकि कुछ का मानना होता है कि उन्हें प्राइवेट नौकरी नहीं करनी है।

एंट्रेंस है तो मुश्किल ही होगा
अमूमन छात्रों में यह धारणा रहती है कि अगर किसी कोर्स में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा ली जा रही है तो वह मुश्किल ही होगी। ऐसे में उनकी नजर में इस तरह की परीक्षा की अहमियत काफी बढ़ी हुई होती है।

कुछ अलग करना है
मौजूदा समय में छात्रों के अंदर कुछ अलग करने की बात होती है। पर देखने में आता है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती कि उन्हें अलग करना क्या है। ट्रेंड से हट कर करने की ख्वाहिश उनके मन में होती है, ऐसे में उन पर अपने मजबूत पक्षों को दरकिनार कर कुछ नया करने की धुन सवार रहती है।

नंबर जिसमें अच्छे, उसमें करियर बेहतर
मेरे इस विषय में अंक अच्छे हैं तो इसमें करियर अपनाऊंगा।  इस आधार पर करियर का चुनाव करना और उसमें सफलता हासिल करने का प्रतिशत 50-50 होता है।

दोस्त चुन रहे हैं अमुक करियर
काउंसलिंग में आने वाले छात्र उस करियर को ही अपनाने पर अधिक जोर देते हैं, जिसे उनके दोस्त अपना रहे होते हैं। उस दौरान छात्र अपने मजबूत और कमजोर पक्ष को नहीं देखते, बल्कि वह भावनात्मक रूप से फैसला करते हैं। पारिवारिक पेशे को अपनाने में छात्रों का कांसेप्ट पूरी तरह स्पष्ट होता है। वे पारिवारिक करियर को अपनाने या नहीं अपनाने के लिए सटीक सोच रखते हैं।

काउंसलिंग के फायदे
विकल्पों के बारे में जानकारी: मौजूदा समय में करियर के ढेरों विकल्प हैं। विभिन्न क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन की भरमार है। ऐसे में छात्रों को उनके क्षेत्र से जुड़े स्पेशलाइजेशन, विकल्पों के बारे में जानकारी देने में काउंसलिंग काफी अहम साबित होती है।

दीर्घकालिक लक्ष्य: काउंसलिंग छात्रों के लक्ष्य को दीर्घकालिक बनाने में मददगार साबित होती है। अमूमन छात्र करियर या कोर्स के बारे में तय करते समय दीर्घकालिक लक्ष्यों के बारे में गौर नहीं करते, वे करियर के बारे में शॉर्ट टर्म एप्रोच रखते हैं। ऐसे में काउंसलिंग की मदद से उनके भविष्य का रोडमैप तैयार किया जाता है।