काउन्सलिंग
मुझे 12वीं के बोर्ड exam में व IIT JEE / CET टेस्ट में कम मार्क्स आए हैं.
मुझे अच्छा कॉलेज नहीं मिल रहा. मैं क्या करूँ ?
प्रिय स्टूडेंट व अभिभावक
मेरी बात ध्यान से समझिए. यदि स्टूडेंट के मार्क्स एवरेज से जादा हैं तो मैं इसे अच्छा मानता हूँ. यह बात बोर्ड व एंट्रेंस एग्जाम दोनों के रिजल्ट के लिए लागु होती है. कृपया निम्नलिखित पॉइंट्स का ध्यान में रखें. मैं ये बातें इंजीनियरिंग के एडमिशन को लेकर समझा रहा हूँ. इंजीनियरिंग केवल उदाहरण है. पर ये बातें सभी फैकल्टी व् सभी स्ट्रीम पर लागु होती हैं.
- सभी कॉलेज लगभग एक जैसे होते हैं. सभी का सिलेबस एक जैसा होता है. किताबें, लैब, लाइब्रेरी भी एक जैसे होते हैं. प्रोफेसर भी एक जैसे शिक्षित होते हैं, उनमे उन्नीस बीस का फरक हो सकता है. यह हो सकता है कि किसी कॉलेज का कैंपस बड़ा हो, बिल्डिंग बड़ी हो, एयर कंडीशन हो, इंटीरियर व एक्सटीरियर अच्छा हो और किसी दुसरे कॉलेज में यह सब कम अच्छा हो. पर इन वाह्य सुविधाओं से सिलेबस, बुक्स, लाइब्रेरी, एग्जाम आदि पर जादा फरक नहीं पड़ता. वैसे भी वही सुविधाएँ या लक्ज़री सुविधाएँ स्टूडेंट का मुख्य ध्येय नहीं होता. स्टूडेंट का मुख्य ध्येय शिक्षा होना चाहिए.
- कॉलेज के ब्रांड – हम इन्हें तीन तरह से देखते हैं
- क्वालिटी ब्रांड : ये केवल क्वालिटी की वजह से प्रसिद्द होते हैं. जैसे कि IIT, BITS, … आदि. लाखों स्टूडेंट इन कॉलेजों में एडमिशन के लिए टेस्ट लिखते हैं. सोचिए कि १० लाख स्टूडेंट कोशिश करते हैं. १ लाख सेलेक्ट होते हैं, बाकि 9 लाख रिजेक्ट हो जाते हैं व् निराश हो जाते हैं.
- ऐड ब्रांड : ये कॉलेज या यूनिवर्सिटी advertisement या प्रचार से पाए हुए होते हैं. इनके पास जगह बड़ी होती है, इंटीरियर व एक्सटीरियर अच्छा होता है, बिल्डिंग बड़ी होती है, एयर कंडीशन भी हो सकता है, … इनके अपने कॉल सेंटर होते हैं जो स्टूडेंट लोगों को फोन करके ब्रेनवाश करते हैं, व हाई फीस पर एडमिशन करवा लेते हैं. ये insurance या सेल्स सेक्टर जैसा काम करते हैं. इनसे स्टूडेंट व पेरेंट्स को सावधान रहना चाहिए.
- रेगुलर ब्रांड : ये रेगुलर या नार्मल कॉलेज होते हैं. ये अच्छे होते हैं. इनकी फीस ऐड ब्रांड वाले कॉलेजों से कम होती हैं, जो स्टूडेंट व् पेरेंट्स के लिए अच्छा है.
- प्लेसमेंट :
- आजकल अधिकतर कॉलेज अपने प्लेसमेंट को manipulate कर के दिखा रहे हैं. इस धोखे से सभी को बचना चाहिए.
- कोई भी यूनिवर्सिटी या कॉलेज किसी को प्लेसमेंट की गारेंटी नहीं दे सकता
- अगर कैंडिडेट अच्छा है, उसके रिजल्ट अच्छे हैं, उसकी स्ट्रेंथ अच्छी है तो उसका प्लेसमेंट स्वतः हो जाएगा
- किसी को नहीं मालूम कि ३-४ साल बाद प्लेसमेंट सेनारियो कैसा होगा. किसी भी fake प्रेडिक्शन या भविष्यवाणी पर ध्यान न दें.
- मै सलाह देता हूँ कि कैंडिडेट अपनी पढाई अच्छे से करे, साथ में इवेंट्स व एक्टिविटीज भी करे, एम्प्लोयबिलिटी फैक्टर्स इम्प्रूव करे उसका प्लेसमेंट स्वतः हो जाएगा
- कॉलेज का चयन :
- जो कॉलेज का ग्रेड B, B+, A, A+ हैं या एवरेज, एवरेज से ऊपर, अच्छे या बहुत अच्छे हैं उन्हें चुनें
- जिनमे आपकी पसंद का कोर्स हो उन्हें चुनें
- जिस कॉलेज की फीस कम हो, आपकी बजट में हो, उसे चुनें
- जो घर या हॉस्टल के नजदीक हो उसे चुनें
मेरा एडमिशन अच्छे कॉलेज में नहीं हुआ. मैं क्या करूँ ?
मेरी बात समझिए – मेरे को दिल्ली जाना था. मेरे को राजधानी ट्रेन में टिकट नहीं मिला. मै निराश नहीं हुआ. मैंने शताब्दी ट्रेन ट्राई किया. उसमे भी टिकेट नहीं मिला. मैं तब भी निराश नहीं हुआ. हताश भी नहीं हुआ. क्योंकि मुझे मालूम था कि मेरा टारगेट ट्रेन नहीं है. मेरा टारगेट दिल्ली पंहुचना है. ट्रेन तो केवल एक सवारी है, एक कैरियर है, जो मुझे दिल्ली तक ले जाएगी. फिर मैंने एक्सप्रेस ट्रेन में ट्राई किया. इसमें टिकेट मिल गया. पर कोच एसी नहीं था. कोई बात नहीं, एसी जरुरी नहीं, मेरा टारगेट एसी नहीं था, मेरा टारगेट दिल्ली था. मैं दिल्ली पहुँच गया.
स्टूडेंट भी अपना टारगेट सेट करें. जैसे कि ‘इंजिनियर बनना’ या ‘इंजीनियरिंग करना’ टारगेट हो सकता है. कॉलेज या यूनिवर्सिटी कैरियर हैं जो आपको टारगेट तक पंहुचाएंगे. अपना ध्यान केवल टारगेट पर केन्द्रित कीजिए. एसी नहीं होगा तो कोई बात नहीं. लक्ज़री आपका टारगेट नहीं है. थोड़ी कठिनाई भी हो तो कोई बात नहीं. मेरी बात मानिए, जो स्टूडेंट कठिनाई से गुजरते हैं, वो जिंदगी में जादा सफल होते हैं. अपना ध्यान केवल टारगेट पर रखी. आप सफल होगे.
प्लेसमेंट का क्या करें ?
मुझे ऊपर लिखी गई बात को पुनः दोहराने दीजिए. कोई कॉलेज प्लेसमेंट की गारेंटी नहीं दे सकता. जो दे भी रहे हैं वो बहुत सारी शर्ते बता रहें हैं जैसे कि स्टूडेंट हमेशा फर्स्ट क्लास पास हुआ हो, कहीं कोई बैकलॉग न हो, कंपनी के टेस्ट पास करे, … आदि आदि. इतनी शर्तों का मतलब आप स्वयं समझ सकते हैं. दूसरी बात भी समझिए. किसी को नहीं मालूम कि ३-४ साल बाद प्लेसमेंट सीनरियो कैसा होगा, फिर अभी से उस पर बहुत जादा तनाव लेने की जरुरत नहीं. स्टूडेंट को चाहिए कि वह पढाई में ध्यान दे, इवेंट व एक्टिविटी में भाग ले, एम्प्लोयबिलिटी फैक्टर्स इम्प्रूव करे, प्लेसमेंट अपने आप हो जाएगा.
लोन ?
मैं हमेशा कहता हूँ कि लोन न लें. कम फीस वाला कॉलेज / यूनिवर्सिटी चुनें, लोन न लें. लोन परिवार पर भार स्वरुप हो जाता है. स्टूडेंट को परिवार का टेंशन समझ में आता है. वह भी टेंसन में आ जाता है. ऊसकी हेल्थ व दिमाग पर असर पड़ता है. इसलिए जहाँ तक हो सके लोन आदि से दूर रहें. अगर बहुत जरुरी हो तो आधा पैसा स्वयं लगाएं व बाकी के लिए लोन ले.
लोन अगर लेना ही पड़े तो किसी सरकारी बैंक से एजुकेशन लोन ही लें.
क्या मैं रिपीट करूँ, एक साल पुनः IIT JEE या CET या NEET या अन्य एंट्रेन्स तैयारी करूँ और अगले साल कॉलेज जॉइन करूँ या इसी बार जो अच्छा कॉलेज मिले वो जॉइन करूँ ?
मैं पुनः रिपीट करने की सलाह नही देता । ऐसा पाया गया है कि रिपीट करने वाले 95% केस पहली बार से कम स्कोर करते हैं । इसके कई कारण है जैसे कि 1. वही सिलेबस रिपीट करने से स्टूडेंट बोर हो जाते हैं 2. ‘काफी समय है, बाद में पढ़ लूंगा’ वाली मानसिकता 3. स्टूडेंट के इंटरेस्ट बदल जाते हैं 4. स्टूडेंट का टारगेट, ध्येय, लक्ष्य बदल जाता है 5. शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक distraction हो सकते हैं.
स्टूडेंट को लगने लगता है कि उसके साथ के साथी स्टूडेंट कॉलेज जॉइन कर लिए हैं, आगे निकल गए हैं, वह पीछे रह गया है. ऐसी भावना उत्पन्न होने से वो हतोत्साहित हो जाता है, डिप्रेस हो जाता है. इसलिए मैं रिपीट थ्योरी की सलाह नही देता.
जो अच्छा कॉलेज मिले, जो अपने स्कोर से मिले और जो अपने बजट में हो, वहां जॉइन कर के आगे बढ़ना चाहिए.
आगे बढ़े. प्रोग्रेस करें. प्रोग्रेस ही जिंदगी है.
HELP ?
- We will help you.
- We will understand and analyse strength, weakness, interest, dreams, skills.
- We will help you in selecting right course, college and university.
- We will guide you in admissions and course.
- Contact us by email or sms or whatsapp or phone or contact form.
Visit contact page and call us or fill Inquiry form.