इंटीरियर डिज़ाइनर
आज कल घर हो या ऑफिस, अच्छा दिखना चाहिए, सुंदर दिखना चाहिए. इसके साथ ही जादा से जादा जगह का सदुपयोग होना चाहिए.
मेरे एक मित्र ने अपना ऑफिस ऐसा डिजाईन कराया था कि ऑफिस में घुसिए तो लगता था कि एरोप्लेन में घुसे हैं. वैसा ही लुक, वैसा ही फील. उनका काम ट्रेवल एंड टूर का था और ऑफिस टूर प्लान करता था, एयर टिकेट बुक करता था, पासपोर्ट और वीसा के लिए हेल्प करता था. जो एक बार आ गया वो हमेशा उस ऑफिस को याद रखता था.
रजनी कि सहेली अंजली का घर बहुत सुंदर है. एक एक चीज परफेक्ट जगह रखी है. टीवी फ्रिज वाशिंग मशीन सभी सही जगह. घर में टाइल्स और दीवालों का रंग सब एक दूसरे से मैच करते हैं. खिडकियां और दरवाजे और उनके पर्दे सभी सुंदर. एक एक इंच का बखूबी इश्तेमाल हुआ है. बच्चों का कमरा बच्चों के हिसाब से है. उनके उम्र के हिसाब से रंग, डिजाईन व चित्र बनाए हैं. परफेक्ट. दादा दादी के कमरे में बहती नदी वाली तस्वीर देख कर अक्सर वो खुश हो जातें हैं. मैंने पूछा कि ये किसका आईडिया था तो वो बोले कि इंटीरियर डिज़ाइनर ने सलाह दी.
मैंने इंटीरियर डिज़ाइनर से बात की. उसने बताया कि पहले उसने पूरे परिवार के बारे में अध्यन किया. हर सदस्य कि पसंद नापसंद जानी. उनके मूड के बारे में अध्यन किया. जगह का अध्यन किया. घर के उपकरणों के बारे में जाना. और इन सब अध्यन के बाद एक थीम सोचा. सब से बात की. फिर थीम के हिसाब से इंटीरियर प्लान बनाया, डिजाईन बनाई, डेकोरेशन प्लान किया. अपनी तीन साल की पढाई और उसके बाद के अनुभव का इस्तेमाल किया.
मेरा उनसे संक्षिप्त इंटरव्यू –
आप अपने बारे में बताइए.
- हम इंटीरियर डिज़ाइनर हैं.
- हम प्रोफेशनल हैं. इसकी शिक्षा ली है और ट्रेनिंग भी.
आप इंटीरियर डिज़ाइनर कैसे बने ?
- हमें इंटीरियर डिजाईन अच्छा लगता था. हमारे दोस्त के पिता जी इंटीरियर डिज़ाइनर है. उनसे हम प्रेरित हुए.
- हमने दसवीं के बाद इंटीरियर डिजाइनिंग में ३ साल का डिप्लोमा किया है. कई लोग यही डिप्लोमा १२वीं के बाद या ग्रेजुएशन के बाद करते हैं.
- इस कोर्स में हमने सिविल इंजीनियरिंग कि बातें पढ़ीं, ड्राफ्टिंग सीखा, इंजीनियरिंग ड्राइंग सीखा, इंटीरियर डिजाईन की बारीकियां सीखीं, और डेकोरेशन की बातें सीखी.
- उसके बाद हमने ट्रेनिंग ली, अनुभव लिया.
- और अभी आप के सामने हैं, आप कि सेवा में.
आखिरी सवाल. अभी आपको कैसा लगता है ?
- अच्छा लगता है.
- इसमें बहुत क्रिएटिविटी है. रचनात्मकता है. उससे आत्म संतुष्टि मिलती है.
- हम क्लाइंट कि जरुरत के हिसाब से काम करते हैं
- उन्हें जगह बचा कर देते हैं, कम जगह में जादा जगह बनाते हैं
- उनके मूड व जरुरत के हिसाब से रंग व डिजाईन सोचते हैं, ऑफिस है तो काम के हिसाब से सोचते हैं
- आजकल थीम का जमाना है, इसलिए क्लाइंट कि मनपसंद थीम आधारित डिजाईन करते हैं
- उसकी खुशी से हम खुश होते हैं
आप भी इंटीरियर डिज़ाइनर बन सकते हैं. अच्छा स्कोप है. अगले २० साल सिविल इंजीनियरिंग और उससे जुड़ी चीजों जैसे कि आर्किटेक्ट, इंटीरियर डिजाईन आदि के होंगे.