Empathy सहानुभूति
कई बार एम्प्लायर, बॉस, सहकर्मी या अधीनस्थ कर्मचारी से बातचीत के समय विचार में मतभेद हो सकता है. असहमत होने पर भी, हमें दूसरे की बात सुननी चाहिए व उन पर गौर करना चाहिए. उन बातों को मानना या ना मानना कंपनी पॉलिसी व कंपनी हित के आधार पर होना चाहिए. हम बात माने या न माने पर हममें दूसरों के विचारों के प्रति सहानभूति या संवेदना होनी चाहिए और उन्हें सुनना चाहिए.
क्या ये बात घर में भी लागू होती है ?
जी हां, बिलकुल लागू होती हैं. बहुत ज्यादा लागू होती हैं. घरों में छोटी छोटी बात पर मतभेद हो जाते हैं. अगर हम एक दूसरे की बात सुनें, तो ये मतभेद बहुत कम हो जाएंगे. परिवार खुश रहेगा.
सफलता मिलेगी ?
अवश्य मिलेगी. सफलता का #अरुणोदय होगा. आप सफल होंगे.
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Counselor Arun Mishra
#MBA_CS 06