इस दुनिया में सलाह देने वाले बहुत सारे लोग हैं. गावं से लेकर शहर तक, घर से लेकर ऑफिस तक, गली से लेकर मैदान तक, देश से लेकर विदेश तक हर कोई सलाहकार है. किसकी सलाह माने और किसकी न माने, यह बड़ा प्रश्न है.
अच्छा सलाहकार: जो सलाहकार सच का साथ देता है, सही का साथ देता है, ethics follow करता है, सकारात्मक होता हैं, आशावादी होता है, प्रोत्साहित करता है, सही सलाह देता है, मंजिल तक पंहुचाता है वह अच्छा सलाहकार होता है.
हमेशा पहले व्यक्ति को या client को बिठाइए, उसको समझिए, उसकी समस्या समझिए, उस पर विचार कीजिए और फिर कुछ सलाह दीजिए.
समस्या: सलाह लेने या देने से पहले, समस्या समझना बहुत जरुरी है. समस्या को सुनिए, पूरी तरह सुनिए, हो सके तो समस्या के जड़ को जानिए, समस्या के त्वरित प्रभाव व दूरगामी प्रभाव को जानिए, समस्या के माहौल को जानिए, उसके कारणों को जानिए और इस तरह समस्या पूर्ण अध्ययन कीजिए.
इच्छित समाधान: यह जानना जरुरी है कि client क्या समाधान चाह रहा है. उसका इच्छित समाधान क्या है.
समाधान: इच्छित समाधान सही भी हो सकता है और गलत भी. अगर गलत है तो आप उसे समझाएं और सही समाधान की तरफ ले जाएं. अगर client इसके लिए तैयार नहीं है तो आप case छोड़ दें. जो उचित है आप वही बात करें. अगर client सही समाधान के लिए तैयार है तो उसे समाधान का रास्ता बताएं. कई रास्ते हो सकते हैं. जो रास्ता client के लिए संभव हो वह बताएं. संभव को feasible भी कहा जाता है. Feasibility तय करते वक़्त समाधान पाने के लिए लगने वाले Financial, Operational, Technical, Social, Political और Legal बातों का आकलन करें और फिर समाधान बताएं.
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